राजनीति

किसानों को संदेश, राजस्थान और लोकसभा चुनाव में भी लाभ; BJP की रणनीति के अनुकूल है धनखड़ का उपराष्ट्रपति बनना

 नई दिल्ली।
 
देश के नए उपराष्ट्रपति निर्वाचित हुए जगदीप धनकड़ भाजपा की भावी रणनीति के लिए भी काफी अनुकूल हैं। इससे पार्टी को विभिन्न राज्यों और लोकसभा चुनाव में लाभ तो मिलेगा ही, साथ ही सामाजिक समीकरणों को मजबूत करने में भी सफलता मिलेगी। जाट समुदाय से आने वाले धनखड़ के जरिए भाजपा पश्चिमी यूपी, राजस्थान, हरियाणा, पंजाब और दिल्ली की कुछ लोकसभा सीटों पर भी अपनी दावेदारी मजबूत करेगी। इसके अलावा किसानों को भी वह संदेश दे सकेगी।

धनखड़ भले ही संघ और भाजपा के काडर से नहीं आते हैं, लेकिन मौजूदा राजनीतिक हालातों में वह भाजपा की भावी रणनीति के काफी मुफीद है। भाजपा ने राजनीतिक संदेश देने के लिए पिछली बार राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति को उत्तर और दक्षिण भारत से लाने का फैसला किया था, इस बार उसने इसे बदलकर पूर्वी भारत और पश्चिमी भारत किया है, ताकि देश के सर्वोच्च पदों पर भारत के सभी क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व दिया जा सके। इससे पार्टी अपनी सर्वदेशीय व्यापक छवि को और मजबूत करेगी।

राजनीतिक दृष्टि से देखा जाए तो भाजपा को अगले दो साल के अंदर कई राज्यों और लोकसभा चुनाव का सामना करना है। इनमें राजस्थान महत्वपूर्ण है, जहां भाजपा अभी सत्ता में नहीं है। चूंकि, धनखड़ राजस्थान से आते हैं, ऐसे में भाजपा को इसका काफी लाभ मिलेगा। धनखड़ राजस्थान से दूसरे उप-राष्ट्रपति होंगे। इसके पहले भैरों सिंह शेखावत को भाजपा ने ही उप राष्ट्रपति बनाया था। राजस्थान के बाद भाजपा लोकसभा चुनाव में जाएगी। पश्चिमी उत्तर प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा, पंजाब और दिल्ली की लगभग 40 सीटें ऐसी हैं, जो जाट प्रभाव क्षेत्र में आती हैं। भाजपा को इन पर भी लाभ मिल सकता है।

किसानों को संदेश : धनखड़ के जरिए भाजपा ने देशभर के किसानों को भी संदेश दिया है कि वह उनके साथ है। पिछले दिनों दिल्ली में हुए बड़े किसान आंदोलन में विरोधी खेमे ने भाजपा की किसान विरोधी छवि बनाने की काफी कोशिश की थी। हालांकि, बाद में हुए चुनाव में भाजपा को इसका ज्यादा नुकसान नहीं हुआ, लेकिन पार्टी देशभर के किसानों के बीच अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए इसका उपयोग कर सकती है।

बसपा, शिअद का समर्थन : बीते दिनों भाजपा को जाट नेता और मेघालय के राज्यपाल रहे सतपाल मलिक की मुखर आलोचना भी सहनी पड़ी थी। मलिक ने भाजपा और सरकार पर निशाना साधने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी। चूंकि उनको भाजपा सरकार ने ही राज्यपाल नियुक्त किया था, इसलिए भाजपा को इसका नुकसान होने का भी डर था। अब धनखड़ के जरिए वह इस नुकसान की भरपाई भी कर सकेगी। धनखड़ के चुनाव में भाजपा को बसपा और शिरोमणि अकाली दल का भी समर्थन मिला। इन दोनों दलों का भी किसान और जाट समुदाय में असर है। ऐसे में भाजपा को राजनीतिक दृष्टि से यह काफी लाभदायक साबित हो सकता है।

राज्यसभा में फायदा : राज्यसभा के संचालन में भी सरकार को इसका लाभ मिलेगा। धनखड़ राजनीतिक अनुभव और संवैधानिक नियम कानूनों में किसी से कम नहीं है। उन्होंने अभी तक सबको साथ लेकर चलने की क्षमता का परिचय भी दिया है। राज्यपाल और उसके पहले पूर्व की चंद्रशेखर सरकार में संसदीय कार्य राज्यमंत्री रहने के चलते उनको संसदीय कामकाज का भी अनुभव है, जो संसद के उच्च सदन के संचालन में काम आएगा।

 

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