व्यापार

विदेशों में तेजी के रुख से तेल तिलहनों के भाव में सुधार

नई दिल्ली
 विदेशी बाजारों में तेजी का रुख होने से शनिवार को दिल्ली तेल-तिलहन बाजार में मूंगफली तेल तिलहन को छोड़कर लगभग सभी खाद्य तेल तिलहनों के भाव बढ़त के साथ बंद हुए। ऊंचा भाव होने के कारण मूंगफली में अधिक कारोबार नहीं होने से इसके तेल तिलहनों के भाव पूर्वस्तर पर बने रहे।बाजार के जानकार सूत्रों ने बताया कि शिकागो एक्सचेंज शुक्रवार की रात को लगभग सात प्रतिशत चढ़कर बंद हुआ था। इस तेजी का असर सोमवार को मलेशिया एक्सचेंज खुलने पर देखा जा सकता है।
     
सूत्रों ने कहा कि हाल में तेल कारोबारी और संगठनों के प्रतिनिधियों की खाद्य सचिव के साथ हुई बैठक में तेल कारोबारियों और कंपनियों ने कीमतों में लगभग 10 रुपये लीटर तक की कमी करने का आश्वासन दिया है। इस कमी के बावजूद वैश्विक तेल कीमतों में आई गिरावटों का समुचित लाभ उपभोक्ताओं को नहीं मिल पा रहा है क्योंकि अधिकतम खुदरा मूल्य (एमआरपी) लागत के मुकाबले लगभग 50 रुपये लीटर तक अधिक हैं। इस 50 रुपये में अगर 10 रुपये की कमी हो भी जाती है तो उपभोक्ताओं को वाजिब लाभ नहीं मिल पाएगा।

सूत्र ने एक उदाहरण देते हुए कहा, ''कांडला बंदरगाह पर अर्जेंटीना के सूरजमुखी तेल का भाव 1,550 डॉलर प्रति टन यानी 123.50 रुपये प्रति किलो है। बंदरगाह का खर्च एवं रिफाइनिंग खर्च को जोड़ने के बाद इस पर कुल लागत 130 रुपये प्रति किलो आएगी। अब इस पर जीएसटी, पैकिंग और परिवहन का खर्च भी जोड़ लें तो कुल लागत 134 रुपये प्रति लीटर होती है। अब खुदरा तेल व्यापारियों और रिफायनिंग करने वालों का मार्जिन भी लगा दें तो इस सूरजमुखी तेल का भाव अधिक से अधिक 145-150 रुपये लीटर होना चाहिये।"
     
हालांकि सूत्रों ने कहा कि सूरजमुखी का यह तेल खुदरा बाजार में आम उपभोक्ताओं को 190-200 रुपये प्रति लीटर के भाव पर मिल रहा है। दाम में कमी होने पर भी इसका भाव 180-190 रुपये प्रति लीटर के बीच ही है। सूत्रों ने कहा कि तेल कारोबार में एमआरपी को नियंत्रित करने की जरूरत है ताकि वास्तविक लागत से एक सीमा तक ही अधिक हो। वैश्विक खाद्यतेल कीमतों में भारी गिरावट और तेल कारोबारियों की बैठकों के बावजूद खाद्यतेल कीमतों की गिरावट का लाभ न तो उपभोक्ताओं को, न किसानों को और न ही तेल उद्योग को मिलता दिख रहा है।
     
सूत्रों ने कहा कि सरसों तेल का अधिभार सहित थोक भाव 135 रुपये प्रति लीटर है और खुदरा कारोबार में इसका अधिकतम भाव 155-160 रुपये प्रति लीटर ही होना चाहिये। लेकिन खुदरा बाजार में सरसों तेल 175 रुपये प्रति लीटर के करीब बिक रहा है। सूत्रों ने कहा कि कच्चा पामतेल (सीपीओ), पामोलीन के आयात की नयी खेप मौजूदा कमजोर भाव से लगभग 20 रुपये प्रति लीटर सस्ता होगा। सूरजमुखी तेल की नई खेपों का भाव भी मौजूदा भाव से 25-30 रुपये लीटर सस्ता बैठने की उम्मीद है। आगामी त्योहारों की मांग आने से लगभग सभी तेल तिलहन कीमतों में सुधार दर्ज हुआ।

 

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