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भारत की ये तोप 48 किलोमीटर दूर बैठे दुश्मन को उड़ा सकती है, स्वतंत्रता दिवस पर रचा इतिहास

नई दिल्ली
लाल किले में सोमवार को स्वतंत्रता दिवस समारोह के दौरान पहली बार स्वदेश में विकसित होवित्जर तोप ATAG का इस्तेमाल किया गया। आजादी के 75 साल बाद यह पहली बार है जब लाल किले पर तिरंगे को 21 तोपों की सलामी देने के लिए 'मेड इन इंडिया' (भारत में निर्मित) तोप का इस्तेमाल किया गया। DRDO द्वारा विकसित, एडवांस टोड आर्टिलरी गन सिस्टम (ATAGS) का इस्तेमाल पारंपरिक ब्रिटिश मूल के '25 पाउंडर्स' आर्टिलरी गन के साथ किया गया।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने स्वतंत्रता दिवस भाषण के दौरान केंद्र की आत्मानिर्भर भारत पहल के बारे में बोलते हुए तोप का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा, “आज, आजादी के बाद 75 वर्षों में पहली बार, तिरंगे को दी जाने वाली 21 तोपों की सलामी में मेड-इन-इंडिया आर्टिलरी गन का इस्तेमाल किया गया। सभी भारतीय इस ध्वनि से प्रेरित और सशक्त होंगे। आज देश की सेना के जवानों का हृदय से अभिनंदन करना चाहता हूं। मेरी आत्मनिर्भरता की बात को संगठित स्वरूप में, साहस के स्वरूप में, सेना के जवानों और सेनानायकों ने जिस जिम्मेदारी के साथ कंधे पर उठाया, उनको आज मैं सलाम करता हूं।”

क्या है 21 तोपों की सलामी परंपरा
जब प्रधानमंत्री द्वारा लाल किले पर तिरंगा फहराने के बाद मिलिट्री बैंड द्वारा राष्ट्रगान बजाया जाता है, तो एक आर्टिलरी रेजिमेंट से औपचारिक तौर पर 21 तोपों की सलामी दी जाती है। वैसे तोपों की सलामी की परंपरा पश्चिमी देशों की नौसेनाओं ने शुरू की गई थी। वहां बंदरगाहों से आने-जाने वाले जहाजों से तोपें एक विशेष तरीके से चलाई जाती थीं ताकि यह व्यक्त किया जा सके कि उनका कोई लड़ाई का इरादा नहीं है। बाद में इस परंपरा को सम्मान देने के तरीके के रूप में आगे बढ़ाया गया। जैसे क्राउन, रॉयल्स, सैन्य कमांडरों और राज्यों के प्रमुखों के आधिकारिक स्वागत के लिए इसका इस्तेमाल किया जाने लगा।

भारत को यह परंपरा ब्रिटिश शासकों से विरासत में मिली। आजादी से पहले सर्वोच्च सलामी 101 तोपों की सलामी थी। इसे शाही सलामी के रूप में भी जाना जाता था। इसे केवल भारत के सम्राट यानी ब्रिटिश क्राउन को दी जाती थी। 101 के अलावा 31 और फिर 21 तोपों की सलामी का भी इस्तेमाल किया जाने लगा। भारत में, गणतंत्र दिवस, स्वतंत्रता दिवस और अन्य अवसरों के साथ-साथ राष्ट्रपति के शपथ ग्रहण समारोह के समय भी 21 तोपों की सलामी दी जाती है।

अधिकारियों ने कहा कि अब तक इस रस्मी सलामी के लिए भारत में ब्रिटिश तोपों का इस्तेमाल होता था। जिन स्वदेशी तोपों से आज सलामी दी गई उनको रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने विकसित किया है। ATAGS एक स्वदेशी 155 मिमी x 52 कैलिबर हॉवित्जर गन (तोप) है जिसे रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) द्वारा अपनी पुणे स्थित नोडल एजेंसी आयुध अनुसंधान और विकास प्रतिष्ठान (ARDE) के साथ मिलकर विकसित किया गया है।

डीआरडीओ द्वारा डिजाइन और विकसित पूरी तरह से स्वदेशी तोप अटैग 155 एमएम कैलिबर गन सस्टिम है। इसमें 48 किलोमीटर की फायरिंग रेंज शामिल है। उच्च गतिशीलता, त्वरित तैनाती, सहायक शक्ति पद्धति, एडवांस कम्युनिकेशन सिस्टम, रात के दौरान डायरेक्ट-फायर सिस्टम में ऑटोमैटिक कमांड और कंट्रोल सिस्टम जैसी एडवांस फीचर्स हैं। एटीएजीएस एक वश्वि स्तरीय प्रणाली है जो जोन 7 में बाइमोड्यूलर चार्ज सस्टिम को फायर करने में सक्षम है।

हॉवित्जर शब्द लंबी दूरी की तोपों की श्रेणी के लिए इस्तेमाल किया जाता है। स्वतंत्रता दिवस समारोह से पहले एटीएजीएस के कुछ अभ्यास फायरिंग सत्र आयोजित किए गए थे। अधिकारियों ने कहा कि 21 तोपों की सलामी की प्रतीकात्मक गतिविधि में एटीएजीएस को शामिल करना यात्रा का एक महत्वपूर्ण कदम है और सेना में इसे शामिल करने की दिशा में महत्वपूर्ण है।

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