विदेश

अमेरिका चीन पर नकेल कसने की तैयारी में, बाइडन प्रशासन ने ड्रैगन के खिलाफ चला ये दांव

वाशिंगटन
अमेरिका और चीन के बीच तनातनी के बाद अब बाइडन प्रशासन ड्रैगन को बड़ा झटका दे सकता है। भारत की तरह अब अमेरिका सेमीकंडक्‍टर का निर्माण करेगा। अमेरिका के इस कदम के पीछे बड़ा कारण यह माना जा रहा है कि सेमीकंडटर के मामले में चीन पर अपनी निर्भरता कम करेगा। बाइडन प्रशासन के निर्देश पर इससे जुड़े नए नियम जारी कर दिए गए हैं।

चीनी रवैये से झुब्‍ध होकर अमेरिका ने उठाया ये कदम
अमेरिका ने चीन के खिलाफ एक और सख्‍त कदम उठाते हुए उसकी मेमोरी चिप बनाने वाली 30 कंपनियों को एक खास लिस्‍ट में डाल दिया है। दरअसल, अमेरिका इन कंपनियों के संचालन की जांच करना चाहता है, चीन ने इसकी अनुमति नहीं दी। चीन के इस रवैये के कारण बाइडन प्रशासन ने इन 30 कंपनियों को अनवेरिफाइड लिस्ट में डाल दिया है। अमेरिका के इस कदम से माना जा रहा है कि चीन की इन कंपनियों को अगले कुछ दिनों में ब्लैकलिस्ट किया जा सकता है।

क्‍या है अमेरिका को भय, पश्चिमी देशों से मांगा सहयोग
इस मामले में अमेरिका, चीन को घेरने की तैयारी में है। इस बाबत अमेरिका ने यूरोपीय देशों से भी सहयोग मांगा है। वाशिंगटन ने कहा है कि अमेरिका की तरह ही पश्चिमी देशों को भी चीन के सेमीकंडक्‍टर के मामले में सख्‍ती बरतनी चाह‍िए। अमेरिका ने चीन की कंपनियों पर पाबंदी की मांग की है। अमेरिका को यह भय सता रहा है कि अगर इस मामले में पश्चिमी देशों का सहयोग नहीं मिला तो उसकी यह योजना विफल हो जाएगी। इसलिए इसके लिए उसने कूटनीतिक कदम उठाने शुरू कर दिए हैं।

भारत ने चीन के खिलाफ उठाया बड़ा कदम
गौरतलब है कि अमेरिका के पूर्व भारत भी चीन के खिलाफ इस तरह का कदम उठा चुका है। मोदी सरकार ने चीन के खिलाफ बने माहौल को देखते हुए देश में सेमीकंडक्‍टर हब बनाने की कोशिश शुरू कर दी है। भारत, ताइवान के सहयोग से देश के अंदर सेमी कंडक्‍टर फैक्‍ट्रियां लगाने की कोशिश में जुट गया है। मोदी सरकार का लक्ष्‍य है कि भारत सेमीकंडक्‍टर के मामले में आत्‍मनिर्भर बने। मोदी सरकार का यह कदम चीन के लिए बड़ा झटका है। अब भारत की तर्ज पर बाइडन प्रशासन ने भी यह कदम उठाया है।

ताइवान को लेकर अमेरिका और चीन के बीच विवाद गहराया
ताइवान को लेकर अमेरिका और चीन के बीच संबंध सबसे निचले स्‍तर पर पहुंच गए है। ताइवान को लेकर दोनों देशों के बीच युद्ध जैसे हालात हैं। चीन के साथ राजनीतिक टकराव के चलते बाइडन प्रशासन ने ड्रैगन के खिलाफ यह कदम उठाया है। इतना ही नहीं बाइडन प्रशासन ने अपने सहयोगी राष्‍ट्रों से इस तरह के कदम उठाने के लिए कूटनीतिक पहल तेज कर दी है। बाइडन प्रशासन ने इस फैसले के बारे में शुक्रवार को जानकारी दी। प्रशासन ने बताया कि अमेरिकी टूलमेकर्स केएलए कार्प, लैम रिसर्च कार्प और एप्लाइड मैटेरियल्स इंक की ओर से भेजे गए टूल्स की मदद से चीन में सेमीकंडक्टर का निर्माण किया जाता है। अमेरिका के नए नियमों मे चीन को इस तरह के टूल्स या चिप की बिक्री से पूरी तरह रोक दिया गया है। इसके प्रभाव से चीन में सेमी-कंडक्टर के निर्माण की गति धीमी होगी। इसका असर चीन की अर्थव्यवस्था पर होगा।

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