राजनीति

लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस ने सेट किया एजेंडा, ‘सीट शेयरिंग फॉर्मूले’ को लेकर दिया बड़ा बयान

महाराष्ट्र 

महाराष्ट्र में आगामी लोकसभा चुनाव को देखते हुए सीट शेयरिंग को लेकर महा विकास अघाड़ी (एमवीए) भागीदारों के बीच घमासान मचा हुआ है। जहां एनसीपी नेता अजीत पवार जल्द से जल्द सीट शेयरिंग के मुद्दे पर फैसले करना चाहते हैं वहीं कांग्रेस अभी इसे लटकाने के मूड में नजर आ रही है। कांग्रेस का कहना है कि वह पहले सभी 48 सीटों की समीक्षा करेगी फिर आगे कोई निर्णय लेगी। उसे कोई जल्दबाजी नहीं है।

क्या कहना है कांग्रेस पार्टी का
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक कांग्रेस पार्टी ने कहा है कि हमारी महाराष्ट्र इकाई ने सभी 48 लोकसभा सीटों पर पार्टी की तैयारियों की समीक्षा करने की कवायद शुरू कर दी है। हमें अभी कोई जल्दबाजी नहीं है। जब तक 48 सीटों पर समीक्षा नहीं हो जाती तब तक सीट शेयरिंग पर कोई फैसला नहीं होगा। राज्य में कांग्रेस नेताओं ने स्पष्ट रूप से कहा है कि किन सीटों पर चुनाव लड़ा जाएगा, इस पर हमलोग अभी कोई चर्चा नहीं करेंगे बल्कि सभी 48 सीटों की समीक्षा कर रिपोर्ट देंगे।

 सीटों के बंटवारे के बारे में पूछे जाने पर कांग्रेस सूत्रों ने कहा कि इस चरण में सीटों के बंटवारे का कोई सवाल ही नहीं है। सीट बंटवारे पर चर्चा के लिए एमवीए नेताओं की बैठक एक महीने में होने की संभावना नहीं है। सीटों के बंटवारे में जल्दबाजी करने की जरूरत नहीं है, क्योंकि जमीनी हकीकत जानने के लिए हम राज्य में सर्वे करा रहे हैं। इस सर्वे और 48 सीटों की समीक्षा के बाद ही कोई निर्णय लिया जाएगा। कांग्रेस के सूत्रों ने कहा कि राज्य इकाई आगे एक सार्वजनिक दौरा करेगी, जहां उसके नेता प्रत्येक लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र का दौरा करेंगे, जहां जनसभाएं आयोजित की जाएंगी और रैलियां आयोजित की जाएंगी। यहां से जनता का मूड भांपने की कोशिश होगी। फिर सभी सीटों की समीक्षा की जाएगी।

अजीत पवार जल्द से जल्द सीट शेयरिंग पर फैसला चाहते हैं
इसके विपरीत, एनसीपी नेता अजित पवार और उनके करीबी नेता लोकसभा चुनाव 2024 के लिए सीट बंटवारे की जल्द घोषणा पर जोर दे रहे हैं। रायगढ़ से पार्टी सांसद सुनील तटकरे, जिन्हें अजीत पवार के सबसे करीबी सहयोगी के रूप में जाना जाता है, ने हाल ही में द इंडियन एक्सप्रेस द्वारा आयोजित टाउन हॉल में कहा था कि सीटों के बंटवारे की जल्द से जल्द घोषणा की जानी चाहिए, जिससे आम चुनाव की तैयारी के लिए अधिक समय मिल सके।

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