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दिल्ली में भारत-बांग्लादेश सीमा सम्मेलन 11 जून से होगा

नई दिल्ली
भारत और बांग्लादेश यहां इस सप्ताह के आखिर में अपनी द्विवार्षिक सीमा-स्तरीय वार्ता करेंगे और इस दौरान दोनों पक्ष सीमा पार अपराध से संबंधित कई मुद्दों एवं अपनी सुरक्षा एजेंसियों के बीच बेहतर तालमेल बनाने के लिए उठाए जाने वाले कदमों पर चर्चा करेंगे। आधिकारिक सूत्रों ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी।

बॉर्डर गार्ड बांग्लादेश (बीजीबी) के 15 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल के, सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) में अपने भारतीय समकक्षों के साथ 11 और 14 जून के बीच आयोजित होने वाली चार दिवसीय वार्ता के लिए शनिवार को दिल्ली पहुंचने की संभावना है।

बीजीबी के प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व उसके महानिदेशक (डीजी) मेजर जनरल ए.के.एम. नजमुल हसन करेंगे जबकि बीएसएफ के प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व डीजी सुजॉय लाल थाओसेन करेंगे। बैठक के दौरान दोनों देशों के गृह, विदेश मंत्रालय और मादक पदार्थ रोकथाम से संबंधित अधिकारियों के मौजूद रहने की संभावना है।

दोनों देशों के बीच इस तरह की वार्ता का यह 53वां संस्करण होगा और ऐसी आखिरी बैठक पिछले साल जुलाई में हुई थी जब बीएसएफ प्रतिनिधिमंडल ने ढाका की यात्रा की थी।

केंद्रीय गृह मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि दोनों पक्षों के सीमा प्रबंधन, इस मोर्चे पर अपराधों की जांच, समन्वित सीमा प्रबंधन योजना (सीबीएमपी) को लागू करने के लिए संयुक्त पहल, बीजीबी और बीएसएफ के बीच आपसी विश्वास बढ़ाने के तरीके और मौजूदा द्विपक्षीय संबंधों को और मजबूत करने से संबंधित कई मुद्दों पर विचार-विमर्श करने की उम्मीद है।

बीएसएफ देश के पूर्वी हिस्से में बांग्लादेश से लगी 4,096 किलोमीटर लंबी अंतरराष्ट्रीय भारतीय सीमा की सुरक्षा करता है। यह वार्ता 1975 और 1992 के बीच वार्षिक रूप से आयोजित की गई थी, लेकिन 1993 में इसे द्वि-वार्षिक बना दिया गया था, जिसमें दोनों पक्षों ने नियमित अंतराल पर राष्ट्रीय राजधानियों नई दिल्ली और ढाका की यात्रा की थी।

बीएसएफ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि दोनों देशों और सुरक्षा बलों के बीच संबंध बहुत अच्छे हैं तथा दोनों पक्ष इन संबंधों को और आगे बढ़ाने की दिशा में काम कर रहे हैं। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, बीएसएफ ने जून 2022 के मध्य में और अप्रैल 2023 में कुल 407 बांग्लादेशी नागरिकों को ''सद्भावना के तहत'' बीजीबी के सुपुर्द किया था और इनके खिलाफ कोई कानूनी कार्रवाई भी नहीं की गई थी क्योंकि वे अनजाने में सीमा पार कर गए थे।

 

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