उत्तरप्रदेश

दिल्ली-NCR, यूपी पर्यटकों से टूरिस्ट स्पॉट पैक, मसूरी में भी जाम का नैनीताल जैसा हाल; ट्रैफिक डायवर्ट

 यूपी

देश के मैदानी इलाकों में पारा चढ़ने के साथ ही पर्यटकों ने पर्वतीय इलाकों की ओर रुख करना शुरू कर दिया है। उत्तराखंड के मसूरी, नैनीताल, ऋषिकेश आदि पर्यटक स्थलों में दिल्ली-एनसीआर, यूपी सहित अन्य राज्यों के टूरिस्टों से पूरी तरह से पैक हो गए हैं। पर्यटकों की भारी भीड़ की वजह से दिल्ली हाईवे पर ट्रैफिक जाम का झाम बना हुआ है, तो दूसरी ओर पर्यटक स्थलों में होटलों में बुकिंग फुल है।

चिंता की बात है कि पर्यटकों की भारी भीड़ की वजह से मसूरी में भी ट्रैफिक जाम का नैनीताल जैसा हाल हो गया है। पर्यटकों की भारी भीड़ को देखते हुए ट्रैफिक डायवर्ट भी किया गया है। नैनीताल में पर्यटकों की भारी भीड़ को देखते हुए टूरिस्टों के लिए हेल्प डेस्क भी शुरू किया गया है। रोडवेज बसों में भी सीटों के लिए मारामारी हो रही है।

मसूरी में भी नैनीताल की ही तरह ट्रैफिक जाम की समस्या गंभीर हो चुकी है। जितने पर्यटक आ रहे हैं, उस लिहाज से सुविधाएं नहीं हैं। सड़कें चौड़ी नहीं हुई हैं, पार्किंग की सुविधा नहीं है। नैनीताल में हाईकोर्ट के कड़े रुख से बदलाव होने की उम्मीद है। मसूरी के लिए भी समाधान के उपाय समय रहते करने पड़ेंगे। वरना पर्यटन सीजन और वीकेंड में आने वाले हजारों सैलानी जाम की आफत से पहाड़ों की रानी से मुंह मोड़ने लगेंगे।

स्थानीय आबादी भी जाम से परेशान है। मसूरी और नैनीताल को करीब से समझने वाले विशेषज्ञों की नजर में अब समय बेहद सख्त कदम उठाने का है। सबसे पहले इन शहरों में प्रवेश कर रहे वाहनों की संख्या निर्धारित करनी होगी। चार धाम की तरह यहां भी पर्यटकों की संख्या निर्धारित हो। विशेषज्ञों की राय में सार्वजनिक परिवहन को बढ़ाना, नए निर्माण पर प्रतिबंध और ट्रैफिक प्लान के बजाए टूरिज्म प्लान बनाया जाना चाहिए।

नैनीताल का जीवन सिर्फ 20 साल शेष बचा: नैनीताल निवासी प्रसिद्ध पर्यावरणविद प्रो. अजय रावत के बताय कि उनकी ओर से दायर की गई रिट संख्या 694 ऑफ 1993 एवं 1995 में कोर्ट के यह स्पष्ट निर्देश थे कि नैनीताल की मालरोड में भारी वाहन प्रतिबंधित रहेंगे। लेकिन आज कोर्ट के किसी भी निर्णय का पालन नहीं किया जा रहा।

कोर्ट ने यह भी कहा था कि नैनीताल में भारी निर्माण, बहुमंजिला इमारतें 27 फीट से ऊंची न हों। यूपी के एडवोकेट जनरल अशोक श्रीवास्तव के सर्वे में यह तथ्य सामने आया था कि पर्वतीय क्षेत्रों में वीआईपी कल्चर गलत है। यातायात रोकने से जाम समेत अन्य समस्याओं का सामना करना पड़ता है। यही हालात रहे तो शहर का जीवन मात्र 20 वर्ष रह जाएगा।

विशेषज्ञ बोले-उत्तराखंड में नए पर्यटक स्थलों की जरूरत
सेवानिवृत भूवैज्ञानिक प्रो. सीसी पंत के अनुसार नैनीताल की पहाड़ियां पूर्व से ही अति संवेदनशील हैं। शहर का अधिकांश हिस्सा भू-स्खलन के बाद जमा हुए पहाड़ के ऊपर बसा हुआ है। मानव जनित गतिविधियों के साथ ही भू-गर्भीय हलचल लगातार नैनीताल और आसपास के पहाड़ों में देखी गई हैं। नैनीताल की चट्टानों का झुकाव एक तरफ है।

इसलिए यहां क्षमता के अनुरूप ही भार का दबाव नियंत्रित करना होगा। प्रशासन को सबसे पहले नैनीताल में नए निर्माण पर रोक लगानी चाहिए। नैनीताल के समीपवर्ती क्षेत्रों में दूसरे नए स्थान विकसित करने होंगे। इसलिए आसपास के अन्य स्थानों पर भी सैलानियों को पहुंचाया जाना चाहिए। इसी तरह की जरूरत मसूरी को भी है, मसूरी के हालात भी नैनीताल से अलग नहीं है।

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