एक लड़की की बलिदान की कहानी हैं फिल्म वैैदेही
रायपुर
ब्लड कैंसर होने के बाद भी एक सिरफिरे लड़के को सही रास्ते पर लाने के लिए लड़की उससे 6 वचन लेती है और जब सातवां वचन पूरा करने की बात आती है तो वह इस दुनिया को छोड़कर चली जाती है। वैदेही (श्रद्धा पानिग्रही) के त्यागभरी भूमिका की जितनी प्रशंसा की जाए वह कम है, फिल्म के जरिए उसने महिलाओं व आज की युवा पीढ़ी को यह संदेश दिया है कि जब एक लड़की यह ठान लें कि एक शराबी, मनचले युवक को सुधार कर सही रास्ते पर ला सकती है तो हम असल जिंदगी में यह सब क्यों नहीं कर सकते हैं। फिल्म के लेखक, निर्देशक व अभिनेता गंगा सागर पांडा (डॉक्टर सागर) ने भी अपनी कला से दर्शकों का दिल जीतने में काबयाब रहे क्योंकि जब फिल्म की नायिका ब्लड कैंसर के आखिर दौर से गुजर रही होती है तो उसे एक सहारे की जरुरत होती है,जो उन्होने अपने अभिनय से बखूबी निभाया भी। शोले के निर्देशक रमेश सिप्पी की फिल्म कोपा में अभिनय करने वाले विशाल फिल्म के हीरो राम (विशाल) का अभिनय लोगों को काफी पसंद आया। चाहे कॉमेडी, एक्शन हो या इमोशनल ही क्यों न हो तीनों ही किरदारों में उनकी अदाकारी ने खूब तालियां बटोरी। जानकी (काजल सोनबेर) भले ही फिल्म में मध्यांतर के बाद प्रवेश करती हैं,पर दर्शकों को अपनी ओर आकर्षित करने में कामयाब रही है। राजधानी के श्याम टॉकीज में भले ही पहले दिन अपर क्लास में दर्शकों से आधी से ज्यादा सीटें भरी थी लेकिन फिल्म के समाप्त होने के बाद वे जय श्रीराम के नारे लगाते निकले और दोबारा फिल्म देखने की मंशा जाहिर की।
छत्तीसगढ़ी फिल्म वैदेही को हम इसलिए एक लड़की के बलिदान की कहानी कह सकते है क्योंकि उसने एक मनचले युवक राम (विशाल) जो कि उसे हर समय परेशान करते रहता है उसे सुधारने के लिए वह प्रण लेती है और अपने मुंहबोले भाई शंकर (पुरन किरी) जो कि राम का अच्छा दोस्त रहता है उसके साथ मिलकर शादी करने का झूठा नाटक करते हुए 6 वचन के बंधन में बांध देती है जिससे सबसे खास वचन होता है वह अपनी अधूरी पढ़ाई जो छोड़ चुका है यूपीएसी की उसे पूरा कर लेगा तब वह उससे शादी करेगी। उसे पूरा करने के लिए वह परीक्षा देता है जिसमें वह पास हो जाता है और इसी समय फिल्म में ट्वीस्ट आता है जब राम का पहला प्यार उसे मिल जाता है जिसकी वजह से वह शराब पीने का आदि हो जाता है। ब्लड कैंसर होने का वैदेही को उसी समय पता चलता है तब वह एक और प्रण लेती है कि इसके बारे में वह राम को नहीं बताएगी और अपने प्यार को त्याग करने के लिए एक बार फिर बलिदान दे देती है। राम को शराब पीने के आदि से सुधारने का एक और कारण यह भी है कि वैदेही के भाई की मौत भी उसी शराब और अन्य नशों के कारण हुई थी। फिल्म में आधे घंटे का इमोशनल सीन है जो दर्शकों को रुला देने वाला है। ब्लड कैंसर के बारे में जब जानकी (काजल सोनबेर) और राम (विशाल) सहित पूरे परिवार को पता चलता है तो सभी उसे खुश रखने के लिए हर प्रकार प्रयास करते हुए उसकी शादी राम से कराने की सोचती है और शादी की तैयारी हो भी जाती है। राम बारात लेकर हॉस्पिटल आता जरुर है लेकिन जब उसे फेरे के लिए भाई शंकर लेने जाता है तो उसकी लाश लेकर वह बाहर आता है, यही सीन दर्शकों को खूब रुलाया।
वैदेही के कैमरा (डीओपी) प्रोजेक्ट डिजाइनर सिद्धार्थ सिंह का बेहतरीन फिल्मकान दिखाई दिया है, परवेज खान, तोशांत कुमार और मोनिका वर्मा ने मिलकर काफी अच्छा संगीत दिया है। राम के पिता का अभिनय कर रहे पुष्पेंद्र सिंह ने भी काफी अच्छा रोल किया है। वैदेही रायपुर के श्याम टॉकीज, पीएनएक्स मल्टीप्लेक्स, आईनोक्स अंबुजा, पीवीआर सिटी मॉल, मिराज नवा रायपुर, कलर्स मॉल, भिलाई न्यू बसंत, मुक्ता ए2 सिनेमा, बिलासपुर पीवीआर, 36 सिटी मॉल, दुर्ग के सेरा सेरा, भाटापारा सिटीप्लेक्स, राजनांदगांव सिल्वर स्क्रीन, धमतरी इरोस प्रशांत, रायगढ़ में गोपी व आरके एंटरटेनमेंट, कवर्धा स्वरा एंटरटेनमेंट, कोरबा – निहारिका व कांकेर के सिने वर्ल्ड सिटी सेंटर में शुक्रवार को रिलीज हुआ, जहां दर्शकों का खूब प्यार मिलता हुआ दिखाई दिया।