विदेश

लंदन में भारतीय उच्चायोग पर हिंसा कराने वाले खालिस्तानी खांडा की मौत

लंदन

लंदन में भारतीय उच्चायोग पर हिंसक प्रदर्शन के मास्टरमाइंड रहे खालिस्तानी अवतार सिंह खांडा की मौत हो गई है। खालिस्तानी लिबरेशन फोर्स नाम के उग्रवादी संगठन के चीफ रहे अवतार सिंह खांडा की बर्मिंगम के एक अस्पताल में इलाज के दौरान मौत हो गई। अब तक अवतार की मौत की वजह सामने नहीं आई है और मेडिकल रिपोर्ट्स का इंतजार किया जा रहा है। इसी साल 19 मार्च को भारतीय उच्चायोग पर हुई हिंसा के दौरान उपद्रवी भीड़ ने भारत का झंडा भी उतार लिया था और उसकी जगह पर खालिस्तानी झंडा फहराने की कोशिश की थी। हालांकि उच्चायोग के अधिकारियों के विरोध के चलते वे इसमें असफल रहे थे। खांडा के दीप सिद्धू के भी रिश्ते थे, जिसने वारिस पंजाब दे नाम का संगठन बनाया था।

एक गंभीर बीमारी का पता चलने के बाद अवतार सिंह खांडा को अस्पातल में एडमिट कराया गया था। खांडा को कई दिनों तक लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर भी रखा गया था, लेकिन तबीयत में कोई सुधार नहीं हुआ। खांडा को रणजोध सिंह के नाम से भी जाना जाता था। उसने कई बार यूके में खुद को राजनीतिक शरणार्थी का दर्जा दिलाने की मांग की थी। उसके पिता भी खालिस्तानी आतंकी थे, जिन्हें सुरक्षा बलों ने 1991 में मार गिराया था। यही नहीं खांडा की मां के भी ताल्लुक एक अन्य खालिस्तानी आतंकी गुरजंत सिंह बुधसिंहवाला से थे। गुजरंत के तो पाकिस्तान में भी गहरे लिंक थे।

ब्रिटेन से आई जानकारी के मुताबिक खांडा के समर्थक मांग कर रहे हैं कि मेडिकल रिपोर्ट में लिख दिया जाए कि उसकी जहर खाने से मौत हुई है। ऐसा होने पर खांडा को शहीद घोषित कर दिया जाएगा और सुरक्षा बलों पर जहर देकर मारने का आरोप लगा दिया जाएगा। इस बीच खबर मिली है कि खांडा ब्लड कैंसर की बीमारी से पीड़ित था और करीब 15 दिन पहले ही उसे बर्मिंगम के अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती कराया गया था। खांडा समेत 4 खालिस्तानियों को एनआईए ने लंदन स्थित भारतीय उच्चायोग में हिंसा करने का आरोपी पाया था। एजेंसी का कहना था कि इन लोगों ने ही तिरंगा उतरवा दिया और हिंसा करवाई।

19 मार्च को हुई हिंसा के बारे में ब्रिटेन की खुफिया एजेंसियों ने पहले ही आशंका जताई थी। लेकिन पुलिस की पर्याप्त तैनाती ना होने के चलते घटना हो गई। कई अन्य खालिस्तानियों की तरह ही खांडा भी स्टूडेंट वीजा पर ब्रिटेन गया था। फिर वह कुछ गुरुद्वारों में अलगाववादी गतिविधियां चलाने लगा। इन गुरुद्वारों का मैनेजमेंट ही खालिस्तान समर्थकों को हाथों में है। इनका इस्तेमाल वे भारत में सिखों के मानवाधिकारों के हनन के नाम रकम जुटाने में करते हैं। फिर इनके जरिए ही अलगाववादी गतिविधियों की फंडिंग की जाती है।

 

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *