सेहत के लिए बैलेंस्ड ब्रेकफास्ट है ढोकला
गुजराती डिश ढोकला खाने में जितना स्वादिष्ट होता है, उतना ही स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है। नाश्ते में खमण ढोकला खाने से वजन कम होता है। ढोकला में फैट बिल्कुल नहीं होता है। ढोकला बनाने की विधि और उसमें शामिल किए जाने वाले सामग्रियों की वजह से ये सेहत के लिए बैलेंस्ड ब्रेकफास्ट है।
क्यों हेल्दी है ढोकला
गुजराती स्नैक ढोकला को स्टीम करके बनाया जाता है। आटा मिला होने से इसके पोषक तत्व बढ़ जाते हैं। दाल होने की वजह इस डिश में फाइबर और प्रोटीन की मात्रा भी बढ़ जाती है। ढोकला में कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स होता है, जिस वजह से यह डायबिटीज के मरीजों के लिए बेहतर डिश है।
मेटाबॉलिज्म बढ़ाएं
ढोकले के नियमित सेवन से मेटाबॉलिज्म बढ़ता है और शरीर की एक्स्ट्रा चर्बी घटती है। इसके अलावा ढोकला खाने से पेट संबंधी भी कोई रोग नहीं होता। इसके अलावा ढोकला खाने से से हमारे शरीर में नए सेल्स बनते हैं। क्योंकि ढोकला ज्यादातर बेसन से बनता है। इसलिए इसमें काफी मात्रा में फाइबर और आयरन होता है।
100 ग्राम में होता है 160 कैलोरी
100 ग्राम ढोकला में 160 कैलोरी होती है। ढोकले को स्टीम करके बनाया जाता है तेल से नहीं, इसलिए इसमें बहुत कम कैलोरी होती है इसके अलावा ढ़ोकला को फर्मेंटेड फूड की कैटेगरी में होता है, जो सेहत के लिए बेस्ट है।
ऐसे बनाएं
सामग्री: बेसन, चीनी, नमक, रिफाइंड तेल, सरसों, लेमन जूस, पानी, बेकिंग सोडा, करी पत्ता, नारियल पाउडर का इस्तेमाल कर खमण ढोकला तैयार किया। सजावट के लिए उस पर कटी हुई हरी मिर्च और धनिया पत्ती।
विधि: खमण ढोकला तैयार करने के लिए सबसे पहले सभी सामग्रियों को तैयार कर लें, ढोकला बनाने के लिए बर्तन में 2 से 3 कप पानी डालें। इसे मध्यम आंच पर गर्म करने के लिए रख दें। प्लेट रखने से पूर्व ढोकला बनाने वाले बर्तन को कम से कम 5 मिनट तक गर्म करें। अब 2 छोटी थाली लें (थाली ऐसी हों जो बर्तन में आसानी से रखी जा सकें)। 1 टी स्पून तेल लगाकर उसे चिकना कर लें।
अब एक बड़े कटोरे में बेसन, सूजी, नींबू का रस, हरी मिर्च-अदरक का पेस्ट, दही और 3/4 पानी को मिला लें। इसमें स्वादानुसार नमक डालें। अब इसे अच्छी तरह से मिला दें। इस तरह मिलाएं की घोल में गुठले नहीं बचे। अब इस घोल में इनो पाउडर डालकर इसे एक मिनट तक फेंटें, इससे घोल लगभग दोगुना हो जाएगा।
इसके बाद तत्काल चिकनी की गई थाली में घोल डालें। घोल डालते वक्त इस बात का ध्यान रखें कि थाली 1/2 इंच ऊंचाई तक ही घोल से भरी हो।