मनुस्मृति के बाद गुजरात HC के जज ने दी गीता पढ़ने की सलाह, बोले- आलोचना से विचलित नहीं होंगे
अहमदाबाद
16 साल की एक बलात्कार पीड़िता ने सात महीने के गर्भ को समाप्त करने की अनुमति गुजरात हाईकोर्ट से मांगी है। याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति समीर दवे ने डॉकटरों से राय मांगी है। साथ ही शुक्रवार दोपहर अदालत कक्ष में आरोपी को हाजिर होने का आदेश दिया है। आरोपी मुकेश सोमानी को मोरबी जेल से कोर्ट में लाने का आदेश देने से पहले जज ने पीड़िता के वकील से पूछा, "क्या समझौते की कोई संभावना है?"
पीड़िता के वकील सिकंदर सैयद ने कहा कि इस मामले में समाधान की बहुत कम संभावना बची है। अदालत ने वकील से यह भी कहा कि यदि वह चाहती है तो यह सुनिश्चित करे कि लड़की के माता-पिता उसके साथ अदालत में उपस्थित हों। इस मौके पर एक सरकारी वकील ने अदालत को सावधान करते हुए कहा कि इसकी आलोचना भी हो सकती है। वकील जज की पिछली टिप्पणी की ओर इशारा कर रहे थे, जिसमें उन्होंने कहा था कि लड़कियों के लिए 17 साल की उम्र तक मां बनना सामान्य है। बलात्कार पीड़िता के वकील को "मनुस्मृति" पढ़ने का सुझाव दिया था।
इस पर जस्टिस दवे ने कहा कि आलोचना या प्रशंसा उन्हें डिगाने वाली नहीं है। उन्होंने कहा, "एक बात मैं कह सकता हूं कि एक जज को स्थितप्रग्न (एक संस्कृत शब्द जिसका अर्थ है संतुष्ट, शांत और निर्णय और ज्ञान में स्थिर) जैसा होना चाहिए। इसकी परिभाषा भगवद गीता के अध्याय II में है। इसलिए तारीफ हो या आलोचना, दोनों को नजरअंदाज करना चाहिए।' सरकारी वकील ने आशंका व्यक्त करते हुए कहा, "मैं गलत उद्धरण के बारे में चिंतित हूं।" इसपर जस्टिस दवे ने कहा, ''किसी को नजरअंदाज करना होगा। अगर हम चीजों को इग्नोर करना सीख लें तो अच्छा होगा।"'
आपको बता दें कि पिछले हफ्ते हाईकोर्ट के आदेश पर राजकोट सरकार के अधिकारियों ने किशोरी और भ्रूण के स्वास्थ्य के बारे में सकारात्मक राय दी थी। एडवोकेट सैयद ने अपनी बात को साबित करने के लिए विभिन्न फैसलों का हवाला दिया कि बलात्कार पीड़िता को मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट के तहत गर्भपात की अनुमति दी जानी चाहिए ताकि सामाजिक कलंक और मानसिक आघात से बचा जा सके।
अदालत ने एडवोकेट सैयद को सलाह दी कि वह समाज कल्याण विभाग के अधिकारी के साथ गोद लेने के विकल्पों और बच्चे के जन्म की अनुमति देने की स्थिति में उपलब्ध विभिन्न सरकारी योजनाओं पर चर्चा करें।