छत्तीसगढ़

प्रजातंत्र के तीनों स्तंभों का भार आज चौथे स्तंभ मीडिया के कंधों पर आन पड़ा है : त्रिपाठी

कोंडागांव

19 जून का दिन प्रदेश व विशेषकर बस्तर के लिए कई मायनों में अभूतपूर्व एवं ऐतिहासिक रहा।जब कल पहली बार प्रदेश की कला राजधानी कोंडागांव बस्तर- दण्डकारण्य में माँ दंतेश्वरी हर्बल इस्टेट के बइठका हॉल में जनजातीय सरोकारों की दिल्ली से प्रकाशित राष्ट्रीय पत्रिका ककसाड़, छ ग हिंदी साहित्य परिषद व हिंदी साहित्य भारती कोंडागांव के संयुक्त तत्वाधान में पत्रकारिता के पितृ पुरुष, हिंदी कहानी के प्रथम कहानीकार व प्रखर स्वतंत्रता सेनानी, मनीषी माधव राव सप्रे की 152 वीं जयंती का आयोजन किया गया।

इस अवसर पर उनके कृतित्व व व्यक्तित्व समग्र पर आलेख पठन,परिचर्चा एवं काव्य पाठ हुआ। इसी के साथ अपने-अपने विधा के क्षेत्रों में योगदान देने वाले 21 विभूतियों का सम्मान समारोह आयोजन समिति के द्वारा किया गया। कार्यक्रम की मुख्य अतिथि देश में जनजातीय संस्कृति की विशेषज्ञ शासकीय गुण्डाधुर महाविद्यालय की प्रोफेसर डॉक्टर किरण नरेटी थी तथा कार्यक्रम की अध्यक्षता जनजातीय चेतना कला संस्कृति व साहित्य की राष्ट्रीय पत्रिका ककसाड़ के संपादक डॉक्टर राजा राम त्रिपाठी ने की। विशेष आमंत्रित अतिथि छत्तीसगढ हिंदी साहित्य परिषद कोंडागांव के अध्यक्ष हरेन्द्र यादव, राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त शिक्षक आर के जैन, वरिष्ठ साहित्यकार यशवंत गौतम व उर्दू अकादमी के छत्तीसगढ़ शासन के सदस्य तथा समाज सेवी मोहम्मद यासीन भाई समारोह में उपस्थित थे।

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