भोपालमध्य प्रदेश

जल संरक्षण क्षेत्र में सर्वश्रेष्ठ राज्य का राष्ट्रीय पुरस्कार प्रदेशवासियों के सहयोग से हुआ संभव : मुख्यमंत्री चौहान

भोपाल

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि सर्वश्रेष्ठ राज्य का राष्ट्रीय पुरस्कार मध्यप्रदेश को मिला है। यह प्रदेशवासियों के सहयोग के बिना संभव नहीं था। मुख्यमंत्री चौहान ने प्रदेशवासियों को अपने वीडियो संदेश में कहा कि हमने केवल जल ही नहीं बचाया है, जीवन भी बचाया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हमारी प्ररेणा हैं। मुख्यमंत्री ने आह्वान किया कि हम सभी संकल्प लें कि पानी के संरक्षण, संवर्धन और प्रबंधन को आगे बढ़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे।

मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि जल-संरक्षण, संवर्धन और प्रबंधन में मध्यप्रदेश देश में पहले स्थान पर आया है। हमने सिंचाई की सुविधा का विस्तार तो किया ही है साथ ही भूमिगत पाइप लाइन जल प्रबंधन बेहतर किया है, जिससे जल की एक-एक बूंद का सही उपयोग हो सके। नई जल-संरचनाओं का निर्माण, पुरानी जल-संरचनाओं का जीर्णोद्धार, अमृत सरोवर, नगरों में जल प्रबंधन, कैच द रैन, वर्षा जल का बेहतर प्रबंधन, जल-संरचनाओं को पुनर्जीवित करने का काम बहुत महत्वपूर्ण है। पूर्व वर्षों में मध्यप्रदेश में जलाभिषेक अभियान भी जन-सहयोग से सफल रहा है। हर घर में नल से पेयजल प्रदाय का कार्य कर प्रदेश के बुरहानपुर जिले ने देश में अव्वल आने का कार्य किया। प्रदेश का निवाड़ी जिला भी इस दिशा में अग्रसर है, जहाँ शत-प्रतिशत घरों में नल से जल प्रदाय होगा। प्रदेश में करीब 60 लाख परिवारों तक नल से जल पहुँचाने का कार्य पूर्ण हुआ है, जो कुल कार्य का लगभग 50 प्रतिशत है। यह एक उल्लेखनीय उपलब्धि है। मुख्यमंत्री चौहान ने मध्यप्रदेश को "राष्ट्रीय जल पुरस्कार- 2022" मिलने पर प्रदेशवासियों को बधाई और शुभकामनाएँ भी दी।

मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि "यह सम्मान प्रत्येक प्रदेशवासी के लिए गर्व का विषय है। ऐसे प्रयासों से न केवल हमारी धरती बचेगी, बल्कि इस धरा पर जीवन भी समृद्ध होगा।"

उल्लेखनीय है कि शनिवार 17 जून को उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने नई दिल्ली के विज्ञान भवन में केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय के चौथे राष्ट्रीय जल पुरस्कार समारोह में मध्यप्रदेश को जल-संरक्षण, प्रबंधन एवं उपयोग के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य के लिए सर्वश्रेष्ठ राज्य श्रेणी में प्रथम पुरस्कार से सम्मानित किया। प्रदेश के जल संसाधन मंत्री तुलसीराम सिलावट ने पुरस्कार ग्रहण किया।

 

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